The best Side of shiv chalisa lyrics in hindi

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वटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदासुप्रकाशम् ।

मोहिः संभ्रान्तः स्थित्वा शान्तिं न प्राप्नोत्।

अर्थ- त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।

अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

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अर्थ- हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो।

संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

अस्तुति चालीसा शिविही, सम्पूर्ण कीन कल्याण ॥

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आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।

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